ऑर्थोपेडिक समस्याएं कभी केवल बुज़ुर्गों तक सीमित थीं पर अब वे सभी आयु के लोगों में देखने को मिलती हैं. युवाओं में उनकी सुस्त लाइफस्टाइल के कारण ये समस्याएं हो रही हैं, जिससे उनके जोड़ों के लिए जोखिम पैदा हो रहा है. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से यह समस्या और भी बढ़ गई है, क्योंकि इस महामारी ने युवाओं की लाइफस्टाइल और बिगाड़ दी है. चूंकि कंपनियों ने वर्क-फ्रॉम-होम की संस्कृति अपना ली है इसलिए यह जोखिम और बढ़ रहा है, विशेष रूप से कामकाजी वर्ग के लिए.
ऑर्थोपेडिक सर्जरी का अर्थ
किसी चोट या जन्मजात अथवा बाद में हुए विकार, पुराने गठिया, हड्डियों, लिगामेंट, टेंडन और अन्य संबंधित टिश्यू की गंभीर चोटों जैसी अन्य मेडिकल स्थितियों के कारण शरीर के मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम यानी पेशी-कंकाल तंत्र पर जो सर्जरी की जाती हैं उन्हें ऑर्थोपेडिक सर्जरी कहते हैं. इन ऑर्थोपेडिक सर्जरी को या तो आर्थ्रोस्कोपी नामक प्रोसेस से या फिर पारंपरिक रूप से ओपन सर्जरी विधि द्वारा भी किया जा सकता है. जहां आर्थ्रोस्कोपी में बस एक दिन में छुट्टी मिल जाती है, वहीं ओपन सर्जरी के लिए रोगी को कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ता है. हालांकि दोनों ही मामलों में उपचार बहुत महंगा हो सकता है, और ऐसे में उपचार के फाइनेंशियल बोझ को कम करने के लिए
मेडिकल इंश्योरेंस काम आता है. * मानक नियम व शर्तें लागू
ऑर्थोपेडिक सर्जरी पर कितनी लागत आती है?
चूंकि पेशी-कंकाल तंत्र का उपचार महंगा हो सकता है, इसलिए यह ज़रूरी है कि आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की मदद से अपने पैसों की रक्षा करें. सर्जरी केवल इलाज की लागत नहीं है, बल्कि इसमें
हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले/बाद के खर्च, परामर्श शुल्क, निर्धारित किए जाने वाले कोई भी मेडिकल टेस्ट आदि कुछ अन्य खर्च शामिल होते हैं, जो किए जा सकते हैं. कभी-कभी, दूसरे डॉक्टर की राय ज़रूरी हो सकती है, जिससे उपचार की लागत और बढ़ जाती है. साथ ही, विभिन्न अंगों के उपचार के प्रकार, जैसे जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी, जॉइंट आर्थ्रोस्कोपी, बोन फ्रैक्चर रिपेयर, सॉफ्ट टिश्यू रिपेयर, स्पाइन फ्यूज़न और डिब्राइडमेंट आदि, के आधार पर भी उपचार की लागतें अलग-अलग हो सकती हैं. संभव है कि इस उपचार में आपकी गाढ़ी कमाई पानी की तरह बह जाए, और इसलिए किसी मेडिकल इंश्योरेंस प्लान, जैसे इंडिविज़ुअल कवर,
फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स, ग्रुप इंश्योरेंस कवर
, सीनियर सिटीज़न के लिए हेल्थ इंश्योरेंस और अन्य, का होना उपयोगी हो सकता है. * मानक नियम व शर्तें लागू
क्या हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ऑर्थोपेडिक सर्जरी कवर करते हैं?
इंश्योरेंस कवर के प्रकार के आधार पर, ऑर्थोपेडिक सर्जरी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दायरे में कवर की जाती है. लगभग सभी इंश्योरेंस कंपनियां हॉस्पिटलाइज़ेशन के खर्चों को कवर करती हैं, लेकिन आपको यह देखना है कि उपचार से पहले की लागतों के लिए कवरेज है या नहीं. कुछ प्लान में प्रोसीज़र के आधार पर सर्जिकल अप्लायंस की लागत, इम्प्लांट की लागत, डॉक्टर की फीस, रूम रेंट शुल्क और इसी तरह की अन्य लागतें भी शामिल की जाती हैं. अधिकांश मामलों में रोगी को डिस्चार्ज के बाद फिज़ियोथेरेपी की सलाह दी जाती है, और ऐसे में, उपचार के बाद के खर्चों को कवर करने वाली पॉलिसी लाभकारी सिद्ध होती है. अगर रोगी की आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी हुई है जिसमें उसी दिन छुट्टी मिल जाती है, तो भी डेकेयर कवरेज वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ऐसे उपचारों को पॉलिसी के दायरे में शामिल करते हैं. प्लान के नियमों और शर्तों के आधार पर पॉलिसी किस हद तक उपचार की लागत को कवर करती है. इस प्रकार, अगर आप विशेष रूप से ऑर्थोपेडिक उपचार को कवर करने वाला प्लान लेना चाहते हैं, तो आपको नियम और शर्तें ध्यान से पढ़ने होंगे. * मानक नियम व शर्तें लागू
क्या ऑर्थोपेडिक उपचारों पर प्रतीक्षा अवधि लागू होती है?
ऐसा नहीं है कि सभी ऑर्थोपेडिक उपचारों पर प्रतीक्षा अवधि लागू होती हो. कुछ उपचार शुरुआती 30 दिनों की प्रतीक्षा अवधि के बाद कवर कर लिए जाते हैं. हालांकि कुछ मामलों में प्रतीक्षा अवधि लिखी हो सकती है जो 12 से 24 महीनों की हो सकती है. साथ ही, आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि पहले से मौजूद रोगों के लिए ऑर्थोपेडिक उपचार के मामले में लंबी प्रतीक्षा अवधि लागू हो सकती है. * मानक नियम व शर्तें लागू। इसलिए याद रखें कि ऑर्थोपेडिक उपचार मेडिक्लेम पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं, और आप अचानक हुई घटना और पहले से तय मेडिकल प्रोसीज़र, दोनों के लिए इसका लाभ उठा सकते हैं. बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियमों और शर्तों के बारे में और जानकारी के लिए, कृपया खरीद पूरी करने से पहले सेल ब्रोशर/पॉलिसी शब्दावली को ध्यान से पढ़ें.
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