भारत में इंश्योरेंस बिज़नेस या जनरल इंश्योरेंस बहुत प्रभावशाली रूप से बढ़ रहा है. इसका मार्केट साइज़ 8000 करोड़ से बढ़कर 2016-17 में 120000 करोड़ को भी पार कर गया है. अर्थव्यवस्था के बेहतर होने के साथ-साथ जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री भी आगे बढ़ रही है. लाइफ इंश्योरेंस पूरी तरह से बिक्री पर आधारत है, जिसमें विक्रेता ज़रूरतें पैदा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन पीएंडसी में इंश्योरेंस की ज़रूरत या उसका अवसर पहले से ही मौजूद होता है. उदाहरण के लिए, अगर आपने कार खरीदी है, तो उसे आप तब तक सड़क पर नहीं चला सकते, जब तक आपके पास कम से कम
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है, या अगर आपने किसी बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया है, तो आपके लिए एसेट को इंश्योर कराना ज़रूरी है. अभी भारत में लगभग 30 जनरल इंश्योरेंस (हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां शामिल) कंपनियां हैं. ऐसे में इतनी सारी कंपनियों के बढ़ने और टिकने के लिए परंपरागत 'अवसर' पर्याप्त नहीं रहे. मोटर इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस बिज़नेस में हमेशा से प्रमुख स्थान पर रहा है, साथ ही 1 अरब से भी अधिक जनसंख्या वाले देश में हेल्थ इंश्योरेंस बिज़नेस का बढ़ना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हमारी
भारत में हेल्थ इंश्योरेंसबेचने वाली लगभग सभी जीआई कंपनियों (कुछ और कंपनियों के साथ भागीदारी हो रही हैं) के साथ भागीदारी है, जिनमें से कम से कम 5 कंपनियां केवल हेल्थ इंश्योरेंस ही बेचती हैं. लॉजिस्टिक्स, प्रोडक्टिविटी, टिकट साइज़ और आसान डिस्ट्रीब्यूशन ने केवल महानगरों और टियर I शहरों में प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनियों को योगदान दिया है, लेकिन भारत में आज भी 60% से अधिक लोग टियर III और IV शहरों/गांवों या और भी छोटे इलाकों में रहते हैं. इस कारण कस्टमर का एक बड़ा वर्ग इंश्योरेंस से लगभग दूर रह गया है. ऐसा मुख्य रूप से इसलिए है, क्योंकि अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियों को टियर III और IV शहरों में पहुंचने में इन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है:
- एक समान सेवाएं देने के लिए न्यूनतम कर्मचारियों के साथ ऑफिस खोलने की अधिक लागत
- बड़े शहरों और इन शहरों के बीच संपर्क/कनेक्टिविटी की समस्या
- इंश्योरेंस के बारे में इन क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और इसके लिए अधिक कोशिशें और संसाधन चाहिए.
- कस्टमर के सवालों और समस्याओं के समाधान के लिए अनुभवी और प्रशिक्षित कर्मचारी (इन-हाउस और डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क), क्योंकि पॉलिसी के नियमों व शर्तें, क्लॉज़, क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस आदि के मामले में इंश्योरेंस को समझना बेहद जटिल हो सकता है.
- कीमत तय करने से जुड़ी मुश्किलें, क्योंकि क्लेम साइज़ और फ्रिक्वेंसी के बारे में उपलब्ध डेटा (विशेष रूप से हेल्थ इंश्योरेंस में) अपर्याप्त है.
भारत में इंश्योरेंस का प्रसार बहुत कम है. टियर III और IV शहरों पर फोकस किए बिना इंश्योरेंस बिज़नेस को बढ़ाना संभव नहीं है. कुछ इंडस्ट्रीज़, जैसे एफएमसीजी, फार्मा और टेलीकॉम क्षेत्र की कंपनियों ने बहुत अच्छे से विस्तार किया है. ये कंपनियां इसलिए सफल हुई हैं, क्योंकि इन्होंने स्थानीय आबादी की ज़रूरतों के हिसाब से अपनी प्रॉडक्ट ऑफरिंग और वितरण विधियों में एडजस्टमेंट किया. इनमें से कुछ एडजस्टमेंट किफायती इनोवेशन (क्वालिटी से समझौता किए बिना), मासिक पैक की बजाय दैनिक बजट, बड़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के ज़रिए आसान उपलब्धता आदि हैं. इन एडजस्टमेंट के चलते ही ये कंपनियां उन इलाकों में काफी सफल हो पाई हैं. वहीं इंश्योरेंस सेक्टर, इन इंडस्ट्रीज़ से बहुत अलग है, फिर भी इन कंपनियों से कुछ बातें सीखकर स्थानीय स्तर पर इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ाया जा सकता है. इंश्योरेंस सेक्टर में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कस्टमर को तत्काल कोई लाभ नहीं मिलता है. इसमें कोई अनहोनी होने पर ही नुकसान चुकाकर जीवन को पहले जैसा करने का वादा किया जाता है. हममें से बहुत से लोग अभी भी, लगभग रोज़ाना ही बुरी से बुरी दुर्घटनाएं देखने के बावजूद यह मानते हैं कि हमारे साथ ऐसा नहीं हो सकता है. इंश्योरेंस कंपनियों को यह सोच बदलने के लिए और स्थानीय स्तर पर एफएमसीजी और टेलीकॉम कंपनियों जैसी सफलता पाने के लिए अभी थोड़ी और कोशिश और कड़ी मेहनत करनी होगी. यहां ऐसी कुछ विशेष जानकारी और सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें जनरल इंश्योरेंस कंपनियां टियर III और IV शहरों में प्रसार के लिए प्लानिंग करते समय ध्यान में रख सकती हैं:
- स्थानीय स्तर पर उपस्थित होने की बजाय, टेक्नॉलजी के उपयोग से पर्याप्त ईकोसिस्टम बनाना (टेक्नॉलजी की मदद से तुरंत पॉलिसी जारी करना और क्लेम सेटल करने की सुविधा)
- डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रेटेजी महानगरों और टियर I शहरों जैसी नहीं हो सकती है. नियमित रूप से काम करने वाले एजेंट की बड़ी संख्या (जो शायद पूर्णकालिक न हों) से इसमें महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है, भले ही उनकी बिक्री न्यूनतम हो.
- कवरेज, विशेषताओं, कीमत और पॉलिसी अवधि (अधिकतर पॉलिसी केवल एक वर्ष की होती हैं) आदि के मामले में कुछ नया पेश करने और उन्हें लोगों के अनुकूल बनाने की ज़रूरत.
- पूरी इंडस्ट्री की बड़ी ज़िम्मेदारी जागरूकता लाना है, जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को स्मार्ट विज्ञापनों (मीडिया टीवीसी, न्यूज़पेपर, सोशल मीडिया आदि के नए तरीके) में अधिक संसाधन लगाने की ज़रूरत है.
- सीएससी, आईएमएफ, पीओएस और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों जैसे नए डिस्ट्रीब्यूशन अवसर प्रसार बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.
संक्षेप में
बजाज आलियांज़ में, हम टियर 3 और 4 शहरों को केवल
जनरल इंश्योरेंस के प्रसार की ज़रूरत वाले मार्केट के रूप में नहीं देख रहे हैं, बल्कि हमारा उद्देश्य इन क्षेत्रों के निवासियों की कमाई की क्षमता को बढ़ाना है. वर्तमान में हमारे 800 से अधिक वीएसओ काम कर रहे हैं, जिनके ज़रिए हमने 1000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोज़गार दिया है, और इससे भी कहीं अधिक संख्या में मध्यस्थ व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिला है. वर्चुअल ऑफिस की पहल न केवल इन क्षेत्रों में कस्टमर्स को खुद को सुरक्षित करने में सक्षम बनाती है, बल्कि इससे लोगों को अपना क्षेत्र छोड़े बिना एक लोकप्रिय ब्रांड के साथ काम करने का अवसर भी मिला है.
योगदानकर्ता: आदित्य शर्मा, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और नेशनल हेड - स्ट्रेटजिक इनिशिएटिव, बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस कं. लि
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