भारत सरकार ने किसानों के बीच खेती के टिकाऊ तौर-तरीकों को बढ़ावा देने के लिए यह स्कीम लॉन्च की है. इस स्कीम के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- अप्रत्याशित घटनाओं जैसे बड़े इलाके में फैली आपदाओं, बीच मौसम आने वाली आपदाओं, कटाई के बाद के नुकसान आदि के कारण किसानों की फसल खराब होने के चलते उन्हें फाइनेंशियल क्षति होने पर उनकी मदद करना.
- यह स्कीम किसानों को खेती के सभी चरणों, यानी बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक की प्रक्रियाओं के लिए भी कवरेज देती है.
- इस स्कीम से मिली फाइनेंशियल मदद से यह पक्का होता है कि किसान हार न मानें और खेती जारी रखें क्योंकि अब उनका इन्वेस्टमेंट इंश्योर्ड है.
- इस स्कीम को लॉन्च करने का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि यह स्कीम किसानों को खेती के नए-नए तौर-तरीके आज़माने और लागू करने के लिए प्रेरित करती है.
यह स्कीम किसानों के बीच अलग-अलग किस्म की फसलों की खेती बढ़ाने की एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देती है.
2. कौन से किसान इस स्कीम के पात्र हैं?पीएमएफबीवाय और आरडब्ल्यूबीसीआईएस स्कीम के तहत, लोन लेने वाले और नहीं लेने वाले, दोनों तरह के किसानों को इंश्योरेंस मिल सकता है.
3. लोन लेने वाले और लोन न लेने वाले किसान कौन हैं?जिन किसानों ने अधिसूचित फसलों के लिए मौसमी कृषि कार्यों (एसएओ) के लिए एक या अधिक फाइनेंशियल संस्थानों से लोन लिया है, उन्हें लोन लेने वाले किसान कहा जाता है. वहीं, जिन किसानों ने किसी भी मान्यता प्राप्त फाइनेंशियल संस्थान से कोई लोन नहीं लिया है, उन्हें लोन नहीं लेने वाले किसान कहा जाता है.
4. इन स्कीम के तहत कौन सी फसलें इंश्योर्ड हैं?इस स्कीम के तहत ये फसलें इंश्योर्ड हैं:
- खाद्य फसलें (अनाज, मोटे अनाज, दालें)
- तिलहन
- वार्षिक कमर्शियल/वार्षिक बागवानी फसलें
इस पीएमएफबीवाई स्कीम में दो घटक हैं जो किसानों (लोन लेने वाले और लोन नहीं लेने वाले) को कवरेज देते हैं:
- अनिवार्य घटक: लोन लेने वाले सभी किसानों को स्कीम के प्रावधानों के अनुसार अनिवार्य रूप से कवर किया जाता है और उन्हें इंश्योरेंस दिया जाता है.
- स्वैच्छिक घटक: यह घटक लोन नहीं लेने वाले किसानों के लिए वैकल्पिक है. यह घटक चुनने का तरीका इस प्रकार है:
- इस घटक का लाभ चाहने वाले किसानों को बताए गए अंतिम दिनांक से पहले नज़दीकी बैंक / इंश्योरेंस कंपनी के अधिकृत चैनल पार्टनर से संपर्क करना चाहिए.
- उन्हें प्रपोज़ल फॉर्म भरना चाहिए और सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट के साथ अपने सेविंग बैंक अकाउंट और लैंड आइडेंटिफिकेशन नंबर की जानकारी देनी चाहिए.
- किसानों को प्रीमियम की राशि के साथ यह फॉर्म बैंक/इंश्योरेंस कंपनी के अधिकृत चैनल पार्टनर के पास सबमिट करना होगा.
लोन लेने वाले किसानों को अनिवार्य रूप से उन्हीं बैंकों के ज़रिए इंश्योर्ड किया जाता है जहां से वे अपना फसल लोन लेते हैं. लोन नहीं लेने वाले किसान सीएससी सेंटर या इंश्योरेंस कंपनियों के ऑफिस जाकर अपनी फसल के लिए इंश्योरेंस ले सकते हैं. किसान बैंकों से या इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट और ब्रोकर से भी संपर्क कर सकते हैं या फिर ऑनलाइन किसान पोर्टल पर जा सकते हैं.
7. इस स्कीम के तहत प्रीमियम की गणना कैसे की जाती है?बीमांकिक प्रीमियम दर (एपीआर) की गणना सम इंश्योर्ड (एसआई) पर की जाती है. इस स्कीम के तहत किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम दर नीचे दी गई टेबल का उपयोग करके तय की जाती है:
मौसम | फसल | किसान द्वारा देय अधिकतम इंश्योरेंस शुल्क |
खरीफ | सभी खाद्यान्न और तिलहनी फसलें | एसआई का 2% |
रबी | सभी खाद्यान्न और तिलहनी फसलें | एसआई का 1.5% |
खरीफ और रबी | वार्षिक कमर्शियल/उद्यान कृषि संबंधी फसलें बारहमासी उद्यान कृषि संबंधी फसलें (प्राथमिक/ इम्तहानी तौर पर) | एसआई का 5% |
गणना करने का फॉर्मूला सम इंश्योर्ड इस स्कीम के तहत एक व्यक्तिगत किसान के लिए:
सम इंश्योर्ड = प्रति हेक्टेयर फाइनेंस का स्केल * किसानों द्वारा बोई गई अधिसूचित फसल का क्षेत्रफल
9. पीएमएफबीवाय स्कीम के तहत क्या-क्या जोखिम कवर किए जाते हैं?प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्कीम ये जोखिम कवर करती है:
- फसल नहीं बोने/लगा सकने का जोखिम
- खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक)
- कटाई के बाद हुआ नुकसान
- स्थानीय जोखिम
व्यापक आपदा के मामले में, किसान को क्षेत्रफल पर थ्रेशोल्ड उपज (टीवाई) की तुलना में इंश्योर्ड फसल की उपज में कमी के आधार पर भुगतान किया जाता है. क्लेम की गणना इस प्रकार की जाती है:
(थ्रेशोल्ड उपज - वास्तविक उपज) ------------------------------------------- * सम इंश्योर्ड थ्रेशोल्ड उपज
11. किसान इंश्योरेंस कंपनी को स्थानीय नुकसानों के बारे में कैसे सूचित कर सकते हैं?किसान आपदा के 72 घंटों के भीतर नुकसान की जानकारी हमें या संबंधित बैंक को या स्थानीय कृषि विभाग/ज़िला अधिकारियों को भेज सकते हैं. वे टोल-फ्री नंबर 1800-209-5959 पर कॉल करके भी संपर्क कर सकते हैं.
12. बुवाई रुकने से हुए नुकसान के मामले में क्या करना चाहिए?बुवाई रुकने से नुकसान होने पर, इंश्योर्ड किसान को इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करने की कोई ज़रूरत नहीं है. यह एक बड़े इलाके में फैली आपदा होगी और इस मामले में मूल्यांकन क्षेत्रफल विधि के आधार पर होता है. यह लाभ तब सक्रिय होता है जब अधिकतर किसान मौसमी हालात के चलते अपनी फसल नहीं बो पाते हैं.
13. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नामांकन करने का सही समय कब है?इस स्कीम के तहत सारे नामांकन राज्य सरकार की अधिसूचना में लिखे अंतिम दिनांक से पहले किए जाने चाहिए. साथ ही, किसान को अंतिम दिनांक तक या उससे पहले प्रीमियम का अपना हिस्सा बैंक या मध्यस्थ के ज़रिए इंश्योरेंस कंपनी को भेज देना चाहिए. अगर नामांकन और भुगतान में देरी होती है, यानि नामांकन और प्रीमियम का भुगतान अंतिम दिनांक के बाद किया जाता है, तो इंश्योरेंस कंपनी के पास कवरेज अस्वीकार करने का अधिकार होता है.
14. कटाई के बाद हुए नुकसान के लिए पीएमएफबीवाय के तहत किन जोखिमों को कवर किया गया है?कटाई के बाद ओलावृष्टि, चक्रवात, चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के कारण उपज में हुए नुकसान का आकलन व्यक्तिगत प्लॉट/खेत के आधार पर किया जाता है, जब कटी हुई फसल को फसल की कटाई से 14 दिनों तक खेतों में सूखने के लिए 'काट कर फैला देने' की स्थिति में रखा गया हो.
15. इस स्कीम के तहत किसानों के लिए टैक्स लाभ क्या हैं?इस स्कीम को सर्विस टैक्स से छूट दी गई है.
*मानक नियम व शर्तें लागू. बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियम और शर्तों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया इंश्योरेंस खरीदने से पहले सेल्स ब्रोशर/पॉलिसी डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें.
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