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Ayurvedic Expenses Under Health Insurance
23 नवंबर, 2020

हेल्थ इंश्योरेंस के तहत आयुर्वेदिक हॉस्पिटलाइज़ेशन के खर्चों का लाभ कैसे उठाएं?

आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ है और यह एक बहुत प्राचीन परंपरा है. आयुर्वेदिक दवाएं दशकों से बीमारियों का ट्रीटमेंट करती आ रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में हमने बीमारियों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ मेडिकल इंश्योरेंस की जागरूकता में भी वृद्धि देखी है. इसलिए, बेसिक हेल्थ प्लान में ट्रीटमेंट के दौरान हुए हॉस्पिटलाइज़ेशन के खर्चे कवर होने चाहिए. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने यह भी जाना है कि होम्योपैथी, आयुर्वेद, यूनानी आदि पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां कितनी महत्वपूर्ण और ज़रूरी हैं और उन्हें शामिल करना चाहिए जब बनाना हो हेल्थ इंश्योरेंस प्लान . हेल्थ इंश्योरेंस की भूमिका भारत में अधिकतर लोग तमाम बीमारियों के ट्रीटमेंट के लिए आयुर्वेदिक दवाएं लेते हैं. ये दवाएं पौधों से बनती हैं और चूंकि ये पूरी तरह से कुदरती हैं इसलिए कई लोग ट्रीटमेंट के इन प्राचीन और साफ-सुथरे तरीकों पर विश्वास करते हैं. पहले, कुछ हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर ने ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम तहत होमियोपैथी ट्रीटमेंट को कवर किया, लेकिन इंडिविजुअल प्लान्स के लिए यह उपलब्ध नहीं था. हालांकि, अब इस प्रकार का कवर बदल गया है. आज, अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा प्राचीन ट्रीटमेंट को शामिल किया जाता है यहांः सभी हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकार के तहत प्राचीन ट्रीटमेंट को शामिल किया जाता है. इस ट्रीटमेंट का क्लेम करने के लिए यह ज़रूरी है कि आप किसी मान्यता-प्राप्त हॉस्पिटल में 24 घंटों से अधिक समय तक भर्ती रहे हों. आयुर्वेद को कवर करने वाली हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन दूसरी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां, जैसे यूनानी, नेचुरोपैथी आदि को अभी तक हेल्थ प्लान में कवर नहीं किया गया है. स्टैंडअलोन ट्रेडिशनल मेडिसिन कवर खरीदने का विकल्प अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन आप इन्हें स्टेंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ खरीद सकते हैं. आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट की लागत ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इंश्योरेंस प्रदाताओं ने शामिल किया है आयुष उपचार अपनी पॉलिसी के मौजूदा कवरेज के तहत. इसलिए आपको निर्धारित प्रीमियम राशि को छोड़कर और कोई भुगतान करने की ज़रूरत नहीं है. हालांकि, ऐसे ट्रीटमेंट के खर्च आपकी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा तय की गई लिमिट तक ही कवर किए जाते हैं. ये लिमिट पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार अलग-अलग होती हैं. कई व्यक्ति वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में विश्वास करते हैं और उसे हेल्थकेयर सिस्टम की नींव मानते हैं. इससे बीमारियों की रोकथाम पर बड़ा असर पड़ा है और यह पश्चिमी सभ्यता में भी लोकप्रिय हुई है. अगर आपका यह अटल विश्वास है कि आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक ट्रीटमेंट आपके लिए लाभकारी हैं, तो पक्का करें कि आपकी पॉलिसी उन्हें कवर करती हो. खरीदे जाने वाले हेल्थ प्लान को फाइनल करने से पहले उसमें कवर होने वाले ट्रीटमेंट चेक करें. बाद में, अगर आप चाहें, तो अपने परिवार के लिए इसका लाभ उठा सकते हैं और उपयोग में ला सकते हैं फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी. आइए, अब आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक हॉस्पिटलाइज़ेशन से जुड़े खर्चों पर नज़र डालते हैं और जानते हैं कि इनमें क्या-क्या शामिल हैं (पॉलिसी में दर्ज कवरेज के आधार पर):
  • नर्सिंग केयर
  • आवश्यक मेडिकल सुविधाएं, कंज्यूमेबल्स और दवाएं
  • कमरे का किराया, बोर्डिंग खर्च
  • कंसल्टेशन फीस
  • होमियोपैथिक और आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट प्रोसीज़र
पिछले कुछ वर्षों में, वैकल्पिक ट्रीटमेंट लोकप्रिय हुए हैं. चाहे आप आयुर्वेद को पसंद करते हों या योग को, यह सुनिश्चित करें कि आपने ऐसे हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में इन्वेस्ट किया है, जो ज़रूरत पड़ने पर आपको आवश्यक कवरेज दे. नए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को कवर कर रहे हैं, लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले एक्सक्लूज़न भी चेक किए जाने चाहिए. साथ ही, यह भी जानें कि हेल्थ इंश्योरेंस या नेचुरल ट्रीटमेंट का अधिकतम लाभ कैसे उठाएं, क्योंकि अधिकतर भारतीय इंश्योरेंस कंपनियां उन्हें कवर कर रही हैं.

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