हर वर्ष 29 अप्रैल वर्ल्ड डांस डे के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 1982 में इंटरनेशनल डांस काउंसिल ने की थी. इस दिन का मुख्य उद्देश्य कला के एक रूप के तौर पर डांस को बढ़ावा देना है. डांस कला का केवल एक रूप मात्र नहीं है बल्कि यह हेल्थ के लिए भी अच्छा है, 30 मिनट की डांस क्लास, जॉगिंग के एक सेशन के बराबर होती है. यह आपके दिल के लिए अच्छा है, आपको मज़बूत बनाता है और बैलेंस व तालमेल में मदद करता है. इस मौके पर हम कुछ डांस फॉर्म के बारे में बता रहे हैं जो मज़ेदार भी हैं और हेल्थ के लिए अच्छे भी:
बैले
बैले में किए जाने वाले स्टेप आपके पूरे शरीर की ताकत बढ़ाते हैं और आपके पैर की छोटी आंतरिक मांसपेशियों से लेकर आपकी पीठ, कूल्हों और पिंडलियों की बड़ी मांसपेशियों तक का आकार बढ़ाने में मददगार हैं. इस डांस की प्रकृति और इसमें शामिल स्टेप के कारण, यह कूल्हों और शरीर के निचले भागों की ताकत बढ़ाता है. लेकिन चूंकि बैले केवल शरीर के निचले भाग की ही मज़बूती बढ़ाता है, इसलिए बैले डांसर अपने ऊपरी धड़, कोर, और पैरों के ऊपरी हिस्से की ताकत को बढ़ाने के लिए पिलाटीज़ क्लास जाते हैं, फ्री वेट उठाते हैं और मांसपेशियों को ताकत देने वाली दूसरी गतिविधियां करते हैं.
स्विंग डांस
स्विंग, एरोबिक्स का ही एक अधिक ज़ोरदार रूप है. इस डांस में डांसर को वज़न उठाना पड़ता है जिससे हड्डियां मज़बूत होती हैं. स्विंग डांस में काफी कैलोरी बर्न होती हैं, हर सेशन में 300 कैलोरी तक. यह डांस फॉर्म पूरे शरीर की कसरत करवा देता है.
बेली डांस
बेली डांसिंग कसरत का एक मज़ेदार तरीका है जो शरीर और मांसपेशियों को टोन करने के साथ-साथ तनाव घटाने में मददगार है. बेली डांसर अपने धड़ का काफी इस्तेमाल करते हैं, किसी भी अन्य डांस फॉर्म से कहीं अधिक, जिससे उन्हें पीठ व कमर की सभी मांसपेशियों को समान रूप से मज़बूत बनाने में मदद मिलती है. इससे उनकी बांहें भी मज़बूत होती हैं क्योंकि डांस के दौरान उनकी बांहें कहीं अधिक समय तक ऊपर हवा में उठी रहती हैं. इन लाभों के साथ-साथ, इससे पाचन में भी मदद मिलती है और यह कूल्हों को बच्चे के जन्म के लिए तैयार भी करता है.
ज़ुम्बा
ज़ुंबा, एरोबिक्स का एक अधिक और कम तीव्रता वाला रूप है जो मुख्य रूप से शरीर के बीच वाले हिस्से पर काम करता है. कोर के साथ-साथ यह बांहों, पैरों और कूल्हों की मांसपेशियों को भी मज़बूत बनाता है. 60 मिनट के ज़ुंबा सेशन में औसतन 369 कैलोरी बर्न हो जाती हैं. यह लैटिन-प्रेरित डांस, दुनिया भर में कसरत के सबसे लोकप्रिय रूपों में भी शामिल है. ज़ुंबा के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे एक्वा ज़ुंबा और वेट्स इन्क्लूसिव ज़ुंबा. ज़ुंबा में किड्स कैटेगरी भी है.
सालसा
साल्सा दिल की मांसपेशियों समेत लगभग हर प्रमुख मांसपेशी समूह पर फोकस करता है. इस डांस फॉर्म में कोई भी स्टेप करने के लिए जांघों के पिछले भाग, कूल्हों और शरीर के मध्य भाग की मांसपेशियों की कड़ी कसरत होती है. यह डांस फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के साथ-साथ मांसपेशियों को जाने वाले रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाता है और विषाक्त पदार्थों को निकाल बाहर करता है. 30 मिनट के साल्सा सेशन में 175-250 कैलोरी बर्न हो जाती हैं.
भरतनाट्यम
यह इंडियन क्लासिकल डांस न केवल स्टैमिना, फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस बढ़ाता है बल्कि सहनशक्ति भी बढ़ाता है. इस डांस फॉर्म में एरोबिक्स के सेशन के सभी लाभ हैं, यह आपके ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है जो आपके
हृदय स्वस्थ. इसमें पेचीदा मूवमेंट हैं जिसके चलते आपके वज़न को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. यह आपके शरीर के निचले आधे भाग, विशेष रूप से आपकी जांघों और पिंडलियों की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है.
ओडिसी
क्लासिकल डांस के सबसे पेचीदा फॉर्म में गिना जाने वाला ओडिसी शरीर के विभिन्न अंगों के बीच तालमेल बनाए रखता है. चूंकि शरीर के सभी भाग इस कला में योगदान देते हैं, इसलिए यह सिर्फ कसरत नहीं है बल्कि यह एक प्रकार का फेशियल योग भी है क्योंकि यह डांस चेहरे के हाव-भावों के बिना अधूरा है. यह आपके पूरे शरीर की सहनशक्ति और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता है क्योंकि इसका हर स्टेप यूं दिखता है मानो आपका शरीर भारतीय शैली की कोई मूर्ति हो.
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