हममें से बहुत से लोग हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों और शर्तों वाले सेक्शन को पढ़ने में जल्दबाज़ी करते हैं. इस कारण हम पॉलिसी की बारीकियों से अनजान रह जाते हैं और यह आगे चलकर मुसीबत का कारण बन सकती है. अपने इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट को ठीक से पढ़कर प्रतिकूल परिणामों के बारे में जानकारी हासिल कर लेना उपयोगी होगा. 'अज्ञानता से निश्चित रूप से लाभ नहीं मिलता है', और इस मामले में तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. अपने
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की सारी जानकारी को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए ताकि क्लेम प्रोसेस आसान हो. ‘अब पछताय होत क्या जब चिड़ियां चुग गईं खेत’, यह कहावत यहां पूरी तरह लागू होती है और आपको इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. एक और ध्यान रखने लायक कहावत है, ‘रोकथाम इलाज से बेहतर होती है’. इन कहावतों को ध्यान में रखने से आपको भविष्य में लाभ पाने में मदद मिलेगी.
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम कई कारणों से अस्वीकार हो जाता है. क्लेम रिजेक्ट होने के कारणों को अच्छी तरह से समझने से आपको इससे बचने के अहम उपाय करने में मदद मिल सकती है. आखिरकार, आप प्रीमियम चुका रहे हैं और आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिलने वाले तमाम लाभ पाने के हकदार हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के अस्वीकार होने के कारण
1. सम इंश्योर्ड से अधिक राशि के लिए क्लेम करना
एक शब्द है जिसे '
सम इंश्योर्ड' कौन से पॉलिसीधारकों को पता नहीं है. जब आप हेल्थ पॉलिसी चुनते हैं, तो आपके प्लान के प्रकार यानी इंडिविजुअल कवर या
फैमिली फ्लोटर. असल में, इंश्योर्ड सम का मतलब कस्टमर और उसके परिवार के सदस्यों (प्लान पर निर्भर) के लिए हर वर्ष उपलब्ध राशि से है. अगर आप किसी वर्ष विशेष की कुल इंश्योर्ड राशि का लाभ उठा चुके हैं, तो उसके बाद के आपके सारे कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम अस्वीकार हो जाएंगे. फिर भी, अगर राशि का कोई हिस्सा बचा हुआ है और आपका क्लेम स्वीकार्य है तो वह क्लेम बचे हुए हिस्से तक सेटल हो जाएगा. कई बीमारियां ऐसी हैं जिन्हें आपकी हेल्थ पॉलिसी कवर नहीं करेगी. इसलिए यह ठीक-ठीक जानना बहुत ज़रूरी है कि आपका हेल्थ प्लान क्या-क्या कवर करता है और क्या-क्या नहीं. आपके पॉलिसी डॉक्यूमेंट में एक सेक्शन होता है जिसमें एक्सक्लूज़न - यानी ऐसी बीमारियां/स्वास्थ्य स्थितियां जिनके लिए कवरेज नहीं दी जाएगी - साफ-साफ लिखे होते हैं. इस सेक्शन को ध्यान से पढ़ने से आपको अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.
2. गलत जानकारी देना
इस बात का पूरा ध्यान रखें. जब आप प्रॉडक्ट लेने के लिए अपनी जानकारी दें, तो कोई गलत जानकारी नहीं देनी चाहिए, चाहिए एप्लीकेशन फॉर्म में दी गई जानकारी हो या फिर आप फाइल कर हों
इंश्योरेंस क्लेम. अगर दी गई जानकारी में कोई गलती हुई, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. ज़रूरी जानकारी छिपाना, अधूरी जानकारी देना और/या गलत जानकारी देना, ये सभी क्लेम रिजेक्ट होने के कारण हैं. आपकी आयु, आय, वर्तमान इंश्योरेंस प्लान, नौकरी/पेशे की जानकारी, पहले से मौजूद बीमारियां या प्रमुख बीमारियां जैसी जानकारी सही होनी चाहिए.
3. समय बीतने के बाद क्लेम फाइल करना
जैसा कि आपके पॉलिसी डॉक्यूमेंट में लिखा है कि क्लेम एक तय टाइम लिमिट के भीतर फाइल किए जाने चाहिए. अगर हॉस्पिटलाइज़ेशन पहले से तय है, तो आपको 2-3 दिन पहले इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना होगा. मेडिकल एमरजेंसी के मामले में मरीज़ को भर्ती होने के 24 घंटों के भीतर क्लेम फाइल करना होगा. तय समय के भीतर अप्लाई नहीं करने पर आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
4. अपनी पॉलिसी रिन्यू न करना
कहने की ज़रूरत नहीं कि
हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यूअल के लाभ पाने के लिए उसे समय से रिन्यू करना ज़रूरी है. पॉलिसी की समाप्ति के बाद क्लेम अप्लाई करने पर वह रिजेक्ट हो जाएगा. इसलिए समाप्ति तिथि का ध्यान रखना और उसके अनुसार रिमाइंडर सेट करना ज़रूरी है. ऊपर बताए गए सभी बिंदुओं का ध्यान रखें और सावधानी बरतें. सावधानी बरतने से आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से अधिकतम लाभ पा सकते हैं.
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