हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अचानक आई मेडिकल एमरजेंसी के खर्चों को कवर करती है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं हैं, जिसके तहत कुछ बीमारियां कवर की जाती है और कुछ बीमारियां कवर नहीं की जाती हैं. इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस आम लोगों के लिए तब ज़्यादा मुश्किल होता है, जब उन्हें नियमों और शर्तों की जानकारी नहीं होती है. श्रेया पच्चीस वर्ष की हैं, उन्हें अपने दोस्तों संग हर दूसरे दिन पार्टी करना पसंद है और वे शराब पीती हैं और स्मोकिंग करती हैं. एक रात पार्टी के बाद श्रेया बेहोश हो गईं और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. उनकी रिपोर्ट में आया कि शरीर में बहुत ज़्यादा एल्कोहल होने से उनकी प्लेटलेट, सफेद और लाल रक्त कोशिकाओं में बदलाव होने के कारण वे इम्यून सिस्टम की समस्या से ग्रस्त हैं. हॉस्पिटल में भर्ती के अपने खर्चों को कवर करने के लिए श्रेया अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के भरोसे थीं. उन्हें यह जानकर निराशा हाथ लगी कि उनकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि ड्रग्स, शराब और स्मोकिंग के सेवन के कारण हुई उनकी समस्या को उनकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कवर नहीं करती थी. इसलिए श्रेया भरपाई की हकदार नहीं थीं और उन्हें वे खर्चे अपनी जेब से भरने पड़े. भविष्य में ऐसी गलतफहमियों से बचने के लिए पॉलिसीधारक को इस बारे में और जानना चाहिए कि हेल्थ इंश्योरेंस में कौन-कौनसी बीमारियां कवर नहीं होती हैं और
हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को बेहतर ढंग से समझना चाहिए; हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर न होने वाली बीमारियों की लिस्ट देखने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें.
हेल्थ इंश्योरेंस में कवर नहीं की जाती हैं ये बीमारियां
आईआरडीएआई (
इंश्योरेंस डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने नियमों का कठोर पालन सुनिश्चित करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ छूटों को मानकीकृत किया है.
1. जन्मजात बीमारियां/आनुवंशिक बीमारियां
जन्मजात बीमारियां या आनुवंशिक बीमारियां वे बीमारियां हैं, जो व्यक्ति के शरीर में जन्म से ही मौजूद होती हैं. इन्हें और दो कैटेगरी में बांटा गया है - बाहरी जन्मजात बीमारियां जैसे अतिरिक्त त्वचा का बना होना आदि, और अंदरूनी जन्मजात बीमारियां, जैसे जन्म से ही दिल का कमज़ोर होना. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी इनमें से कोई भी बीमारी कवर नहीं करती है.
2. कॉस्मेटिक सर्जरी
बोटॉक्स, फेसलिफ्ट, ब्रेस्ट या लिप ऑगमेंटेशन, राइनोप्लास्टी आदि कॉस्मेटिक सर्जरी व्यक्ति की सुंदरता और शारीरिक गुणों को बढ़ाने के तरीके हैं और इन्हें जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने या शारीरिक क्रियाएं सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य नहीं माना जाता है. इसलिए इन्हें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल नहीं किया जाता है.
3. सेहत से जुड़ी ऐसी समस्याएं, जो ड्रग्स, शराब और स्मोकिंग के कारण होती हैं
इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि ड्रग्स की लत वाले लोगों, स्मोकिंग करने वालों या नियमित रूप से शराब पीने वालों में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना बाकी लोगों से ज़्यादा होती है. ड्रग्स, स्मोकिंग या शराब का ज़्यादा सेवन करने से स्ट्रोक, मुंह का कैंसर, लिवर डैमेज, ब्रोंकाइटिस आदि जैसी कुछ गंभीर बीमारियां भी होती हैं. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ने इन हालात में किए जाने वाले क्लेम को कवरेज से पूरी तरह बाहर रखा है.
4. आईवीएफ और बांझपन के इलाज
आईवीएफ और बांझपन के दूसरे इलाज पहले से योजना बनाकर होते हैं और उनमें काफी पैसा खर्च होता है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अचानक पैदा हुए हालात के कारण आई मेडिकल एमरजेंसी को ही कवर करती है, और इसलिए बांझपन के इलाज से जुड़े खर्चे पॉलिसी में कवर नहीं होते हैं.
5. स्वैच्छिक गर्भपात
भारत में स्वैच्छिक गर्भपात की सेवाओं पर प्रतिबंधी कानून लागू हैं; इसलिए स्वैच्छिक गर्भपात के खर्चे हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते हैं.
6. पहले से मौजूद बीमारियां
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी उन बीमारियों की सर्जरी या डायग्नोसिस को कवर नहीं करती है, जिनके लक्षण पॉलिसी खरीदने से पहले के 30 दिनों के भीतर सबसे पहले दिखते हैं या पॉलिसी खरीदने से पहले मौजूद होते हैं. इनके लिए लागू होती है
प्रतीक्षा अवधि.
7. खुद को पहुंचाई गई चोट
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खुद पहुंचाई गई किसी भी चोट या आत्महत्या की कोशिश के कारण पहुंची चोट को कवर नहीं करती है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खुद किए गए किसी भी नुकसान या आत्महत्या की कोशिश के कारण हुए नुकसान को कवर नहीं करती है.
8 स्थायी रूप से शामिल न होने वाली चीज़ें
युद्ध, दंगों, परमाणु हथियार के हमले, हड़ताल के कारण पहुंचने वाली चोटों के लिए हॉस्पिटलाइज़ेशन के खर्च
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते हैं और उन्हें स्थायी अपवाद माना जाता है.
अंतिम विचार
अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी में इनक्लूज़न (शामिल)/एक्सक्लूज़न (शामिल नहीं) सेक्शन में दिए गए क्लॉज़ एक-दूसरे से काफी अलग हो सकते हैं. फिर भी, हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर न होने वाली बीमारियों की लिस्ट हर इंश्योरेंस कंपनी के लिए एक ही होती है, ताकि बराबर ध्यान सुनिश्चित हो. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप क्लॉज़ और नियमों व शर्तों के बारे में पूरी तरह से जानते हों, ताकि आप उससे पूरा फायदा ले सकें.
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भारत में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रकार और उनके लाभ
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कौन-कौन से दूसरे इलाज शामिल किए जाते हैं?
होम्योपैथी, आयुर्वेद, एक्यूप्रेशर आदि जैसे वैकल्पिक उपचार केवल ऑफर करने वाले प्लान के तहत कवर किए जाते हैं
आयुष उपचार.
भारत में हेल्थ इंश्योरेंस क्या कवर नहीं करता है?
भारत में हेल्थ इंश्योरेंस में अक्सर पहले से मौजूद बीमारियां, कॉस्मेटिक सर्जरी, नॉन-प्रिस्क्राइब किए गए ट्रीटमेंट, खुद को पहुंचाई गई चोट और मादक पदार्थों के दुरुपयोग या प्रायोगिक प्रक्रियाओं के लिए ट्रीटमेंट शामिल नहीं होते हैं.
मेडिकल इंश्योरेंस में कौन से शुल्क कवर नहीं किए जाते हैं?
मेडिकल इंश्योरेंस में आमतौर पर रजिस्ट्रेशन फीस, सर्विस शुल्क, सुविधा शुल्क, एडमिशन शुल्क और टॉयलेट्री, डाइटरी सप्लीमेंट और नॉन-प्रिस्क्राइब किए गए एड्स जैसे आइटम शामिल नहीं होते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस में स्थायी एक्सक्लूज़न क्या हैं?
स्थायी एक्सक्लूज़न में जन्मजात बीमारियां, कॉस्मेटिक या डेंटल सर्जरी, बांझपन उपचार, नॉन-एलोपैथिक उपचार और युद्ध, परमाणु गतिविधि या सेल्फ-हानि के कारण होने वाली स्थितियां शामिल हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस में कौन सी बीमारियां कवर नहीं की जाती हैं?
एचआईवी/एड्स, एसटीडी, जन्मजात विसंगतियों और ड्रग्स के दुरुपयोग या शराब के कारण होने वाली बीमारियों को आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता है.
क्या हेल्थ इंश्योरेंस में फिज़ियोथेरेपी कवर की जाती है?
सर्जरी के बाद या पुनर्वास के लिए फिज़ियोथेरेपी हेल्थ इंश्योरेंस में कवर की जाती है. मेडिकल आवश्यकता के बिना नियमित फिजियोथेरेपी सेशन शामिल नहीं किए जा सकते हैं.
*मानक नियम व शर्तें लागू
बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियम और शर्तों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया इंश्योरेंस खरीदने से पहले सेल्स ब्रोशर/पॉलिसी डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें.
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