आबादी और आय में होती बढ़ोत्तरी के साथ-साथ सड़कों पर वाहनों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो गई है. इससे सड़क पर सुरक्षित रूप से चलना मुश्किल हो गया है. रोज़ाना होने वाली दुर्घटनाओं में बहुत वृद्धि हो गई है, साथ ही गंभीर दुर्घटनाओं की संख्या भी पहले की तुलना में कई गुना अधिक हो गई है. सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु की दर में भी वृद्धि हुई है. इससे न केवल पता चलता है कि हमें सावधानी से वाहन चलाने की आवश्यकता है, बल्कि इससे कार इंश्योरेंस के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी मिलती हैं. ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिनका
कार इंश्योरेंसखरीदते समय और इसके लिए क्लेम करते समय ध्यान रखना चाहिए. यहां हम अक्सर पूछे जाने वाले एक सवाल का जवाब दे रहे हैं कि आप कितनी बार कार इंश्योरेंस का क्लेम कर सकते हैं?
कार इंश्योरेंस में कितने क्लेम किए जा सकते हैं?
इसका सीधा सा एक जवाब यह है कि आप एक वर्ष में कितनी बार कार इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है. लेकिन, आपकी पॉलिसी में ऐसा कोई क्लॉज भी हो सकता है, इसलिए पॉलिसी चुनते समय सावधानी बरतें या ऐसा भी हो सकता है कि बार-बार क्लेम के मामले में पॉलिसी रिन्यूअल के समय इंश्योरेंस प्रदाता ऐसा कोई क्लॉज जोड़ दे. इसलिए पॉलिसी को खरीदते समय पढ़ना और आवश्यक हो जाता है.
कुछ खास परिस्थितियों में लोग इंश्योरेंस क्लेम न करने का सुझाव क्यों देते हैं?
सबसे पहले, अगर आप कार इंश्योरेंस के तहत क्लेम करते हैं, तो उससे 'नो क्लेम बोनस' सीधे प्रभावित होता है. नो क्लेम बोनस वह छूट है, जो आपको पॉलिसी की पिछली अवधि के तहत कोई क्लेम नहीं करने पर दी जाती है, यह छूट आपको अगले वर्ष भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर दी जाती है. यह छूट 20% से लेकर 50% तक हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने समय तक कोई क्लेम नहीं किया है. अगर आप कोई क्लेम करते हैं, तो आपका नो क्लेम बोनस शून्य हो जाता है और आपको दोबारा से जमा करना होता है. पिछले पॉलिसी वर्षों में इकट्ठा सारी छूट एक झटके में खत्म हो जाएगी. बार-बार क्लेम करने से कस्टमर की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है और इससे बाद के वर्षों में भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम भी प्रभावित होता है. बार-बार क्लेम करने से पॉलिसी का रिन्यूअल भी महंगा हो सकता है. इसलिए क्लेम तभी करें, जब रिपेयरिंग की लागत बहुत अधिक हो.
कब क्लेम नहीं करना है, यह कैसे तय करें?
अब आप जान गए हैं कि कार इंश्योरेंस क्लेम करने की कोई सीमा नहीं है; तो आपको यह जानना होगा कि कब क्लेम नहीं करना चाहिए. इसलिए यहां उन परिस्थितियों के बारे में बताया गया है, जिनमें क्लेम न करने का सुझाव दिया जाता है
- जब 'नो क्लेम बोनस' रिपेयरिंग की लागत से अधिक हो: जब इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले नो क्लेम बोनस की राशि कार की रिपेयरिंग में आने वाले खर्च से अधिक होती है, तो इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कोई क्लेम न करने की सलाह दी जाती है.
- जब रिपेयरिंग में लगने वाली राशि डिडक्टिबल से कम हो: जब आप इंश्योरेंस क्लेम करते हैं, तो डिडक्टिबल आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली क्लेम राशि का हिस्सा होता है. अगर आपके द्वारा दी गई राशि डिडक्टिबल से अधिक नहीं है, तो आपको इंश्योरेंस कंपनी से कुछ नहीं मिलेगा.
ऐसे में जब आपको क्लेम करके किसी भी चीज़ का लाभ नहीं मिलने वाला, तो क्लेम न करने पर मिलने वाले लाभों को पाने से क्यों चूकें? इसके अलावा, यह भी ध्यान रखें कि अगर आप एक क्लेम के तहत एक राशि के लिए क्लेम फाइल कर रहे हैं और वह राशि दो अलग-अलग घटनाओं से संबंधित है, तो दोनों घटनाओं के लिए डिडक्टिबल अलग-अलग लागू होगा.
- जब कोई थर्ड पार्टी आपके नुकसान का भुगतान कर सकती है: कभी-कभी ऐसा भी होता है कि दुर्घटना होने पर अन्य व्यक्ति आपके नुकसान का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है. इसलिए इसका लाभ उठाएं और अपने इंश्योरेंस क्लेम को भविष्य के लिए बचा कर रखें.
इसलिए, नुकसान कितना हुआ है, डिडक्टिबल की लिमिट कितनी है, 'नो क्लेम बोनस' पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इन सब बातों का आकलन करने के बाद ही क्लेम करें. जैसे क्लेम करने के लिए आकलन करना ज़रूरी है, वैसे ही यह जानना ज़रूरी है कि जब आवशयकता हो, तब
कार इंश्योरेंस के लिए क्लेम कैसे करें आप.
क्या क्लेम फाइल करने के कारण मुझे बाद के पॉलिसी वर्षों में अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होगा?
ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो निर्धारित करती हैं कि आपकी पॉलिसी का
इंश्योरेंस प्रीमियम क्या होगा जो कई चीज़ों पर निर्भर करता है, जैसे आईडीवी यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू में होने वाले बदलाव, प्रीमियम की राशि, क्लेम का प्रकार, जैसे क्लेम पॉलिसीधारक की गलती के कारण फाइल किया गया है या फिर थर्ड-पार्टी की गलती से, साथ ही कुछ अन्य कारण भी हैं. इसलिए क्लेम की संख्या और इंश्योरेंस प्रीमियम के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या इंश्योरेंस क्लेम सबमिट करने की कोई समय-सीमा है?
नहीं, क्लेम सबमिट करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं है, लेकिन आपको जल्द से जल्द इसे सबमिट करने की सलाह दी जाती है, जिससे इंश्योरेंस कंपनी इस देरी को आधार बनाकर आपके क्लेम को अस्वीकार न कर सके.
“रज़िया ने पूछा, मैंने कार इंश्योरेंस के लिए एक बार क्लेम किया है, लेकिन मेरी आईडीवी समाप्त नहीं हुई है. क्या मैं उसी पॉलिसी के तहत एक बार फिर से क्लेम कर सकती हूं?”
कार इंश्योरेंस के लिए कितने क्लेम किए जा सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है, बशर्ते कि वे आईडीवी के भीतर हों. इसलिए, आप उस पॉलिसी की राशि के तहत क्लेम कर सकती हैं.
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