इंश्योरेंस पॉलिसी अप्रत्याशित फाइनेंशियल नुकसान से सुरक्षित रहने का एक तरीका होती हैं. बात आपके जीवन की हो, आपके स्वास्थ्य की हो, आपकी यात्राओं की हो, या फिर आपकी कार की हो, आप हर किसी के लिए इंश्योरेंस प्लान लेते ही हैं. लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के मामले में चुकाए गए प्रीमियम के लिए इनकम टैक्स एक्ट में कुछ कटौतियों की अनुमति होती है. यह बात आमतौर पर बहुत से लोग जानते हैं और टैक्स बचाने के लिए इस सुविधा का उपयोग करते हैं. इन कटौतियों पर कुछ शर्तें लागू होती हैं, जिनका पालन आवश्यक होता है. लेकिन, उस प्रीमियम का क्या होगा, जिसे आप
कार इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए देते हैं? क्या वह आपकी टैक्स गणना में कटौती योग्य है? इस आर्टिकल में हम बता रहे हैं कि कार इंश्योरेंस टैक्स कटौती योग्य होता है या नहीं, कौन इस कटौती का क्लेम करने के लिए पात्र हैं, और कैसे कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं.
क्या कार इंश्योरेंस प्रीमियम टैक्स कटौती योग्य है?
क्या कार इंश्योरेंस टैक्स कटौती योग्य होता है”, इस प्रश्न का उत्तर ‘हां’ और ‘नहीं’ दोनों है. आप जिस उद्देश्य के लिए कार का उपयोग करते हैं उसके आधार पर आप प्रीमियम की कटौती का क्लेम कर सकते हैं. यहां दी गई दो परिस्थितियों से आप इंश्योरेंस प्रीमियम की कटौती के क्लेम के की पूरी जानकारी पा सकते हैं.
1. कार का उपयोग केवल व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए होने पर
अगर आप अपनी कार का उपयोग केवल व्यक्तिगत उद्देश्यों से करते हैं, तो आप प्रीमियम की कटौती का क्लेम नहीं कर सकते हैं. ऐसा अधिकतर वेतनभोगियों के मामले में होता है, क्योंकि वे अपनी कार से काम पर आते-जाते हैं. उन्हें अपने नियोक्ता से ट्रैवल अलाउंस मिलता है, इसलिए वे कार के इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का क्लेम नहीं कर सकते हैं. अगर कार नियोक्ता ने आपको दी है, तो भी यही बात लागू होती है.
2. कार का उपयोग बिज़नेस के उद्देश्यों के लिए होने पर
अगर आप कार का उपयोग अपनी बिज़नेस गतिविधियों के लिए करते हैं तो आप उसके इंश्योरेंस प्रीमियम की कटौती का क्लेम कर सकते हैं. इस इंश्योरेंस प्रीमियम की कटौती इनकम टैक्स एक्ट के किसी भी सेक्शन के तहत सीधे उपलब्ध नहीं है, बल्कि आप इंश्योरेंस प्रीमियम को अपने बिज़नेस खर्चों में जोड़कर यह कटौती पा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से आपके बिज़नेस का कुल प्रॉफिट और उस पर देय टैक्स, दोनों कम हो जाएंगे. इस प्रकार, कार इंश्योरेंस प्रीमियम की कटौती का क्लेम करने का कोई सीधा तरीका नहीं है. ऊपर बताए गए तरीके का उपयोग केवल वे पेशेवर लोग और व्यापारी ही कर सकते हैं, जो अपने वाहनों का उपयोग बिज़नेस के उद्देश्यों में करते हैं. अगर वाहन का उपयोग पूरी तरह से बिज़नेस के लिए ही हो रहा है, तो पूरे प्रीमियम की कटौती की सुविधा उपलब्ध है, और अगर वाहन का उपयोग बिज़नेस के लिए आंशिक रूप से हो रहा है, तो प्रीमियम की कटौती प्रो-राटा यानी आनुपातिक आधार पर उपलब्ध होती है. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने टैक्स प्रोफेशनल या चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क करें. **
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कार इंश्योरेंस प्रीमियम की कटौती किस-किस तरीके से की जा सकती है?
- कम्प्रीहेंसिव या थर्ड-पार्टी कार इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम की कटौती का क्लेम करने के लिए, आपको अपनी अकाउंट बुक मेंटेन करनी होंगी. अकाउंट बुक मेंटेन करने से यह सुनिश्चित होता है कि कुल बिक्री से आपके बिज़नेस के सभी कटौती योग्य खर्चे घटाकर लाभ की गणना की जा सकती है. **
- साथ ही, अगर आपके बिज़नेस का टर्नओवर रु. 1 करोड़ से अधिक है, तो आपको किसी सर्टिफाइड चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपने अकाउंट्स ऑडिट भी करवाने होंगे. **
- अकाउंट तैयार हो जाने पर, कार इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि को कटौती के रूप में क्लेम करके कुल लाभ और उस पर देय टैक्स, दोनों घटाए जा सकते हैं. **
- स्रोत पर काटे गए टीडीएस पर निर्भर करते हुए, आपको या तो टैक्स रीफंड किया जाएगा या फिर आपको अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा.
क्या इंश्योरेंस क्लेम राशि भी टैक्स कटौती योग्य होती है?
इंश्योरेंस प्लान भरपाई के सिद्धांत पर काम करते हैं. यानी, वे लाभ कमाने का साधन नहीं हैं बल्कि नुकसान की भरपाई का साधन हैं. पॉलिसीधारक के रूप में क्लेम करते समय आप कोई लाभ नहीं कमा रहे हैं. इसलिए, इंश्योरेंस कंपनी से मिली क्लेम राशि पर टैक्स नहीं लगता है. इंश्योरेंस कंपनी आपको हुए फाइनेंशियल नुकसान की भरपाई करती है. आइए इसे समझने के लिए एक उदाहरण देखें: श्री संजय के पास चार वर्ष पुरानी कार है, जिसकी ₹5 लाख है
इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (आईडीवी). आग लगने से कार को इतना डैमेज हुआ कि उसकी मरम्मत संभव नहीं है. इंश्योरेंस क्लेम करने पर इंश्योरेंस कंपनी ने उसे टोटल लॉस माना और भरपाई के रूप में रु. 5 लाख का भुगतान किया. श्री संजय कार का उपयोग अपने बिज़नेस के लिए कर रहे थे और क्लेम से उन्हें पूरी आईडीवी मिली, तो उन्हें लगा कि इस पर टैक्स लगेगा. पर वास्तविकता यह है कि रु. 5 लाख के इस भुगतान पर कोई भी टैक्स नहीं लगेगा.
क्या कार इंश्योरेंस पॉलिसी होना अनिवार्य है?
हां, देश में रजिस्टर्ड सभी वाहनों के लिए मोटर इंश्योरेंस अनिवार्य है. भारत में कानूनी रूप से वाहन चलाने के लिए, यह आवश्यक है कि इसका मान्य रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पीयूसी सर्टिफिकेट और मान्य
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी. कारों को इस नियम से छूट नहीं है, इसलिए सभी कार मालिकों के पास कार की इंश्योरेंस पॉलिसी होनी ही चाहिए. साथ ही, कार इंश्योरेंस पॉलिसी कोई बस एक बार की जाने वाली प्रोसेस नहीं है. कवरेज को ऐक्टिव रखने के लिए इसे हर बार इसकी अवधि के अंत में रिन्यू भी करवाना होता है. *
अंत में
कार इंश्योरेंस प्रीमियम को कटौती योग्य खर्चों के रूप में क्लेम किया जा सकता है, बशर्ते कार का उपयोग बिज़नेस के उद्देश्यों के लिए किया जाए. आपके चुनने के लिए कई इंश्योरेंस प्लान हैं, इसलिए पॉलिसी चुनते समय आप भ्रम में पड़ सकते हैं. ऐसे में आप उपयोग करें
कार इंश्योरेंस कैलकुलेटर. यह उपयोगी टूल विभिन्न पॉलिसी के प्रीमियम और विशेषताओं, दोनों के आधार पर उनकी तुलना में बहुत काम आता है.
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बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियम और शर्तों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया इंश्योरेंस खरीदने से पहले सेल्स ब्रोशर/पॉलिसी डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें.
* मानक नियम व शर्तें लागू
** टैक्स लाभ लागू टैक्स कानूनों में बदलाव के अधीन हैं.
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