वाहन मालिक होने के नाते, सड़कों पर कानूनी रूप से गाड़ी चलाने के लिए अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाना आपके लिए अनिवार्य है. यह रजिस्ट्रेशन रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में किया जाता है जो आपके वाहन के लिए एक विशिष्ट पहचान जारी करता है; वह पहचान है आपके वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर जो आपके वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर लिखा होता है. यह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आपके वाहन विशेष की पहचान करने वाला एक मान्य डॉक्यूमेंट होता है. इसलिए, कोई भी वाहन खरीदने पर उसे उपयुक्त आरटीओ के यहां रजिस्टर कराना ज़रूरी होता है. आपका वाहन किसी अन्य मालिक को ट्रांसफर होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन नंबर वही रहता है. आपके वाहन के लिए स्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर जारी करने से पहले, ऑटो डीलर 'TC नंबर' नामक अस्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर देता है’. यह केवल एक महीने के लिए मान्य होता है, जिससे पहले वाहन स्थानीय आरटीओ में रजिस्टर हो जाना चाहिए. अपने वाहन को रजिस्टर करवाने के साथ-साथ आपको
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी भी खरीदनी होती है, जो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक अनिवार्यता है. सही पॉलिसी का चुनाव आपकी कवरेज आवश्यकताओं के आधार पर होना चाहिए. आइए वाहन रजिस्टर कराने की प्रोसेस को देखें जिससे पहले आपको कुछ डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं.
आपके वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट
ये डॉक्यूमेंट अनिवार्य हैं, जिनके बिना रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है. ये निम्न हैं:
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फॉर्म 20:
- यह नए वाहनों को रजिस्टर करवाने का एप्लीकेशन फॉर्म है.
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फॉर्म 21:
- यह आपके वाहन डीलर द्वारा जारी सेल सर्टिफिकेट है.
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फॉर्म 22:
- एक अन्य फॉर्म जो निर्माता जारी करता है और यह फॉर्म आपके वाहन की सड़क पात्रता सिद्ध करता है.
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पीयूसी सर्टिफिकेट:
- यह सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि आपके वाहन से होने वाले प्रदूषण का स्तर स्वीकार्य सीमाओं के भीतर है. सीधे फैक्टरी फ्लोर से आए बिल्कुल नए वाहनों के लिए यह सर्टिफिकेट आवश्यक नहीं होता है, पर एक वर्ष से पुराने वाहनों या जिन वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन होना है उनके लिए यह आवश्यक है.
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इंश्योरेंस पॉलिसी:
- A फोर व्हीलर इंश्योरेंस या टू व्हीलर इंश्योरेंस पॉलिसी एक अनिवार्यता है जिसके बिना रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता है. इसे मोटर व्हीकल एक्ट ने कानूनन आवश्यक किया है.
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अस्थायी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट:
- स्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर जारी होने तक के लिए डीलर अस्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर देता है.
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फॉर्म 34:
- अगर आपके वाहन की खरीद लेंडर द्वारा फाइनेंस की गई है, तो इस फॉर्म में हाइपोथिकेशन की यह जानकारी होती है यानी उसमें लिखा होता है कि आपका वाहन उसे खरीदने हेतु लिए गए लोन के लिए गिरवी है.
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व्यक्तिगत दस्तावेज़:
- ऊपर लिखे डॉक्यूमेंट के साथ-साथ, डीलर का PAN, निर्माता के बिल, वाहन मालिक की फोटो, पहचान का प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, चेसिस और इंजन प्रिंट जैसे पर्सनल डॉक्यूमेंट भी आवश्यक होते हैं.
* मानक नियम व शर्तें लागू
वाहन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस की चरण-दर-चरण गाइड
आपका वाहन चाहे नया हो या सेकंड हैंड, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य है और वह 15 वर्षों की अवधि के लिए मान्य रहता है। सेकंड हैंड वाहनों के मामले में, ओनरशिप पुराने से नए मालिक को ट्रांसफर होती है पर रजिस्ट्रेशन नंबर वही रहता है. अपने वाहन को रजिस्टर करवाने का तरीका इस प्रकार है:
- सबसे पहले, अपने वाहन को नज़दीकी आरटीओ पर ले जाएं.
- ऊपर बताए गए आवश्यक फॉर्म भरकर निरीक्षण का अनुरोध करें. हाइपोथिकेशन के मामले में इसमें फॉर्म 20, 21, 22 और 34 भी शामिल हैं. इन फॉर्म के साथ-साथ आपको पर्सनल डॉक्यूमेंट की कॉपी भी देनी होंगी.
- ऊपर लिखे डॉक्यूमेंट सबमिट करने के बाद, आरटीओ अधिकारी चेसिस नंबर और इंजन प्रिंट की छाप लेते हैं.
- वाहन की कैटेगरी के अनुसार आवश्यक फीस और रोड-टैक्स का भुगतान करें.
- इस डेटा को वेरिफाई किया जाता है, जिसके बाद रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आपके रेज़िडेंशियल एड्रेस पर रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा जाता है.
* अगर आप नया वाहन खरीद रहे हैं, तो स्टैंडर्ड नियम व शर्तें लागू होंगी, यानी पूरी प्रोसेस ऑटो डीलर करेगा, जिससे आपके लिए परेशानी कम हो जाएगी. हालांकि, वाहन के री-रजिस्ट्रेशन के लिए आपको खुद यह प्रोसेस पूरी करनी होगी. बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियमों और शर्तों के बारे में और जानकारी के लिए, कृपया खरीद पूरी करने से पहले सेल ब्रोशर/पॉलिसी शब्दावली को ध्यान से पढ़ें.
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