जब हम कार इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बात करते हैं, तो जिन दो शब्दों पर सबसे अधिक चर्चा होती है वे हैं- थर्ड-पार्टी कवर और ओन डैमेज. मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, भारत में सभी मोटर वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है. ओन डेमेज की बात करें तो यह कवर उस स्थिति में मदद करता है जब आपके मोटर वाहन को किसी दुर्घटना, मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदा, चोरी, या पूरी तरह से क्षति की वजह से कोई नुकसान होता है. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस तब सहायक होता है जब आपकी कार को आपकी कोई गलती न होने पर नुकसान पहुंचता है. रिपेयर का खर्च उस ड्राइवर द्वारा वहन किया जाता है जिससे गलती हुई है. थर्ड पार्टी
कार इंश्योरेंस, क्लेम करने के लिए, नज़दीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं. आपको यह साबित करना होगा कि दूसरी पार्टी की गलती थी. यह प्रक्रिया थकाऊ और समय लेने वाली हो सकती है. इसलिए, अधिकांश लोग थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस प्लान के तहत क्लेम नहीं करते हैं. आप सोच रहे होंगे, आगे क्या? यहीं पर नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट तस्वीर में आता है. क्या आप इसके बारे में नहीं जानते? अधिक जानने के लिए पढ़ें
मोटर इंश्योरेंस में नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट के बारे में सब कुछ जानें
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जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को भारत में एक दूसरे के साथ वार्षिक आधार पर एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना होता है. शर्तों के अनुसार, अगर दोनों पक्षों के पास अपना ओन डैमेज कवर है, तो इंश्योरेंस कंपनियां नुकसान का भुगतान करने का विकल्प चुनती हैं. इसका मतलब है कि ड्राइवर की गलती होने पर थर्ड पार्टी कवर का इस्तेमाल नहीं करना है. इसी को हम नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट कहते हैं. नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा बनाया गया है. GIC का गठन आईआरडीएआई द्वारा 2001 में किया गया था और यह भारत में सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है. डिक्शनरी की परिभाषा के अनुसार यह,
‘वाहन इंश्योरेंस कंपनी के बीच एक एग्रीमेंट है जिसमें प्रत्येक इंश्योरर अपने द्वारा इंश्योर्ड वाहन को हुए नुकसान के लिए दोष सिद्ध करने का प्रयास किए बिना भुगतान करता है’.
भारत में नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट का लाभ
नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट के लाभ जानने के लिए नीचे दी गई तालिका पर एक नज़र डालें:
पॉलिसीधारक के लिए
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इंश्योरर के लिए
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डैमेज रिपेयर के लिए किए गए खर्चों को रिकवर करता है |
मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में थर्ड-पार्टी क्लेम को लेकर जाने में जो अवांछित देरी हो सकती है उससे बच जाते हैं |
यह सुविधाजनक है क्योंकि थर्ड-पार्टी क्लेम बोझिल और थकाऊ होते हैं |
यह समय बचाने वाला और लागत प्रभावी है |
डिस्क्लेमर: नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट अनिवार्य नहीं है, बल्कि इंश्योरेंस कंपनियों के बीच समझ का परिणाम है.
क्या नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट के अंतर्गत कोई एक्सक्लूज़न है?
नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट के अंतर्गत एक्सक्लूज़न की सूची नीचे दी गई है :
- यह रेलवे या ट्रामवे पर लागू नहीं होगा.
- किसी भी पार्टी द्वारा जारी किए गए कम्प्रीहेंसिव से कम, किसी भी कवर के लिए पॉलिसी द्वारा कवर किए गए नुकसान/क्षति पर लागू नहीं होता है.
- यह केवल पॉलिसी में निर्दिष्ट भौगोलिक स्थानों में होने वाले हादसों/दुर्घटनाओं पर लागू होगा.
संक्षेप में
नॉक-फॉर-नॉक एग्रीमेंट स्वैच्छिक है. कस्टमर के पास थर्ड-पार्टी क्लेम करने का विकल्प होता है. अगर कस्टमर अपने ओन डैमेज कवर का विकल्प चुनता है, तो 'नो क्लेम बोनस' का स्टेटस समाप्त हो जाएगा. यह
मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी भारतीय सड़कों पर चलते समय बहुत महत्वपूर्ण होती है. हर निर्णय का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें.
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